० भारतीय संस्कृति शिक्षा दर्शन व आदर्षो से युक्त, दृढ़ संकल्प एवं समर्पित कार्यकर्ताओं को राष्ट्र के पुनर्निर्माण में लगाना।
० ऐसी शिक्षा व्यवस्था का निर्माण करना,जिसके माध्यम से न केवल राष्ट्रीय आध्यात्मिक सम्पदा जो कि हमें हमारे पूर्वजों के अनुभव से प्राप्त जीवन की सभ्यता और वैभवशाली परम्पराओं को अपनी भावी पीढि़यों को हस्तांतरित करनी है बल्कि उन्हें और समृद्धशाली बनाना है।
० संसार के आधुनिक तकनीकी को उपयोग में लाते हुए शैक्षिक व्यवस्था और उपलब्ध साधनों के माध्यम से शैक्षणिक उद्देश्यों और लक्ष्यों की प्राप्ति से बालक का सर्वांगीण विकाास करना।
० शारीरिक नैतिक, धार्मिक व आध्यात्मिक शिक्षा तथा योग, संगीत और संस्कृत विषयों के पाठ्यक्रम के साथ-साथ शैक्षिक एवं अनौपचारिक गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों में राष्ट्रीयता का भाव जागरण तथा उनके चरित्र एवं सांस्कृतिक विकास करना।
० सक्षम एवं समर्पित आचार्यों की निरन्तर उपलब्धता तथा उनमें शुद्ध चरित्र निर्माण के लिए आचार्य प्रषिक्षण वर्गों का आयोजन करना।
० शैक्षणिक संस्थानों और संगठनों को उपरोक्त आदर्शों से चैतन्य जागृत करने के लिए संबद्ध करना। विषेषकर ग्रामीण, जनजातीय और अविकसित क्षेत्रों में इन गतिविधियों को मार्गदर्षक योजनाओं के प्रसार में कार्य करना ।
० विद्या भारती विद्वत परिषद के माध्यम से राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर गोष्ठियों एवं परिसंवादों का आयोजन करना।
० भारत सरकार की विभिन्न राष्ट्रीय शैक्षणिक योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए वांछित सहयोग एवं परमर्श प्रदान करना।
० भारत और विदेशों में शैक्षणिक प्रयोगों और अनुभवों के लिए एक प्रभावी सम्पर्क और दोनों पक्षों में परस्पर मेल-जोल बनाना।
० राष्ट्रीय खेलों, विज्ञान प्रतियोगिताओं, संस्कृति बोध परियोजना व वैदिक गणित के लिए मंच प्रदान करना।